Saturday 4 January 2020

Phone ही नही उठाती हो !

आज नया साल था,
मेरा फिर वही हाल था,

मैंने फिर से phone कर दिया,
पर तुम तो तुम हो,

Phone ही नही उठाती हो !

बस यही पूछता की
तुम कैसी हो ?
दीदी कैसी हैं ?
फल और दूध
क्या regular खाती हो ?
अब hospital कितने दिन पर जाती हो ?
क्या एक बोतल IV चढ़ा कर भाग आती हो ?

पर तुम हो की............

करती हो क्या अब भी digital payment
रात को टहलती हो JNU pavement
वो किरण जी की तैयारी कैसी है ?
प्रियंका दी कि आदत क्या अब भी वैसी है ?

क्या तुम ही उनका खाना पकाती हो ?
मलाई पराँठा या दाल-fry बनाती हो ?

क्या अब भी translation से पैसे कमाती हो ?

पर तुम हो की............

ये भी बताता की मैंने गीता पढ़ी है,
तुम्हारी माँ की ही बातें तो उसमे लिखी हैं,
तुमने जो जो उपदेश दिए थे,
कृष्ण भगवान ने वही तो कही हैं-
Stoic होने को उन्होंने कहा है,
तुम्हारे मन को समझना उनपर भी बला है,
और उनका रंग भी तुम्हारे जैसा ही काला है !

तुम्हारी धमकी से मौसी जी अब तक डरी हैं,
क्या अब भी वकालत से सबको डराती हो ?

पर तुम हो की............

आजकल दिल्ली मे ठंडी बहुत है,
पर आग भी है, लखनऊ तक लगी है,
PM और CM हैं, मिलकर जलाते,
रविश और स्वरा जी हैं काग़ज़ छुपाते,
Cyclone और बाढ़ की किसको पड़ी है ?

क्या तुम भी इन भीड़ों के प्रदर्शन में जाती हो ?
मरतों-ठिठुरतों को relief fund जुटाती हो ?
मेरा खाना नहीं पचता जब तक तुम नहीं चिल्लाती हो ?

पर तुम हो की.......

Exam है या कोई बवाल है ?
मेरा उत्तर ग़लत था या कोई और सवाल है ?
नोटेबंदी है या नेटबंदी है ?
बेरोज़गारी है या आर्थिक मंदी है ?
Tuition फ़ीस बढ़ी है या हॉस्टल फ़ीस ज्यादा है ?
कोई नौकरी करती हो या तैयारी का इरादा है ?
क्या किसी ने तुम्हे फिर मना कर दिया है ?
या दिल ये किसी और को दे दिया है ?

जलन है या ग़ुस्सा है,
कविता या कोई क़िस्सा है,
बात है या जज़्बात है,
Mistrust है या अंधविश्वास है,
बदला है या remorse है,
तुम्हारी सोच या मेरी बकवास है,
कोई डर है या कड़वी याद है,

तुम्हारे दिल  किस-किस ने block कर रखा है,
धारा १४४ तो लगा ही है, १२४A क्यूँ लगाती हो ?
मेरे दिल की दिल्ली को कश्मीर क्यूँ बनाती हो ?

तुम कुछ clear भी तो नही बताती हो...........

और phone भी तो नहीं उठाती हो ........😌😔

No comments:

Post a Comment

दो राहें

तुम चले सड़क पर सीधा  हम धरे एक पगडंडी, तुम्हारे कदम सजे से  हम बढ़े कूदते ठौर, तुमने थामी हवा की टहनियां  हम बैठे डिब्बे में संग, तुम संगीत...