Saturday, 30 November 2024

देने वाले

हम दोनों हैं देने वाले 
हमको लेना मंजूर कहाँ,
दोनों राह दिखाने वाले 
हमसा कोई मगरूर कहाँ?
कोई हमसे कैसे कहे 
हमको आता नहीं कुछ भी 
कोई हमसे पूछ ले कैसे 
हमको न आए जो भी,
हम सरल-सहज, सुलझे-सुलझे
है अलग पंथ पर मध्य उगे,
हम मुस्कुराकर हाथ मिलाते 
आते-जाते टक्कर खाते 
राम-श्याम के हम पोते!

खेल

खेल खेलते हैं 
खिलाड़ियों के साथ,
पालों में रह रहे हैं 
उधर जाने के बाद,
खेल के बड़े हैं 
उस्ताद जंग में,
मैदान है बड़ा 
हर शख्स उमंग में,
खेल खेलते हैं 
राम के घर से,
खेल है खुदा 
हम हैं महज शागिर्द!

खोज

मेरे हुनर को आप 
औरों में ढूँढ़ती हैं,
नाजों को निभाने को 
हस्ती लुटा दे जो,
ऐसे दीवानों को
मयखानों में ढ़ूंढ़ती हैं


खाना बनाकर जो
टिफिन सजा दे,
ऐसे खानसामे को
दावतखानों में ढूँढ़ती हैं,
जो बात सुनकर आपकी 
हीरे-मोती में जड़ा दे,
ऐसे ईबादतगारों को
ईंसानों मे ढूँढ़ती हैं!




Friday, 22 November 2024

सम्पत्ति

मेरी सम्पत्ति हैं
मेरे परिवार के लोग,
जिनकी खुशी को 
करते हम अनुयोग,
लाचार पाते हैं खुद 
जब दुख देखते मुख पर,
हैं पास रिसता उम्र 
हम हैं पहरे पर,
है क्या असर मुझपर 
डर मैं देखता इधर-उधर,
उसके माथे की सिकन
लेता उठा खुद पर,
संजोता मैं उन्हें मन में 
निहारता उम्र भर!

Thursday, 14 November 2024

एक बापू हैं!

एक बापू है हृदय में 
एक खादी है तन पर 
एक गीत है होठों पर 
एक राष्ट्र है पेशानी पर 
एक काम है मेरे हाथों में 
एक रफ्तार है मेरे पैरों में 
एक गर्व है मेरी चाल में 
एक समर्पण है मेरे ख्याल में 
एक भाव है मेरे मिलने में 
एक जिद है कुछ बदलने में 
एक मकसद है मेरे बापू में!

अन्याय

जो हो गया है 
उस अन्याय का क्या?
क्या होगा उस 
दर्द का जो किसी ने
माथे पर खींचा
क्या खुलेगी कभी भी
वो मुट्ठी जो 
लाचारी ने है भींचे,
जो चोट लगी 
उस दाग का क्या?

दो कदम

दो और कदम 
कुछ राम चलेंगे,
दो और पल 
मेरे साथ रहेंगे,
मेरे कर्म तो 
अपने आप जलेंगे,
कुछ वजह 
जमाने को देने
कुछ संकल्प को 
हाथ बटाने 
मेरे युद्ध में साथ लड़ेंगे!

जिम्मेवारी

लेकर बैठे हैं  खुद से जिम्मेवारी,  ये मानवता, ये हुजूम, ये देश, ये दफ्तर  ये खानदान, ये शहर, ये सफाई,  कुछ कमाई  एडमिशन और पढ़ाई,  आज की क्ल...