औरों में ढूँढ़ती हैं,
नाजों को निभाने को 
हस्ती लुटा दे जो,
ऐसे दीवानों को
मयखानों में ढ़ूंढ़ती हैं
खाना बनाकर जो
टिफिन सजा दे,
ऐसे खानसामे को
दावतखानों में ढूँढ़ती हैं,
जो बात सुनकर आपकी 
हीरे-मोती में जड़ा दे,
ऐसे ईबादतगारों को
ईंसानों मे ढूँढ़ती हैं!
 
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