Monday 1 January 2018

पंडित की बड़ी बेटी

कोई चिल्लाता है तो सहम सी जाती है,
हिंसा को जब इतना क़रीब वो पाती है,
निगाहें झुकाती है,कुछ समझ नही पाती है,
जब कोई बात उसके दिल पे लग जाती है,
बस धीरे से सुबकती है, आँखें भिगो लेती है,
कभी बहुत गुस्से मे होती है, तो बस रो देती है.....

बड़ी अदब है उसमे, वो ज़ुबान नहीं लड़ाती है......

छोटे भाई को खाना खिलाती है,
घर को सजाती है, पोछा लगती है,
पौधों से बालकनी को सजाती है,
पापा जी को पानी, हर बार वही पिलाती है,
कपड़े उनके धोकर, वही चमकाती है,
खाने के लिए वही सबको बुलाती है,
ग़ुस्सा होती है कभी-कभी
आँखें दिखाती, डराती है, फिर मुस्कुराती है,

माँ के जैसी है वो, माँ से ज़्यादा बन जाती है.....

Scooty लेकर वो निकल जाती है,
माँ का इलाज कराती है,घर का सामान लाती है,
भाई को दवा,बहन को किताब दिलाती है,
किसी को सुबह की ट्रेन पकड़वाती है,
या फिर किसी को मंदिर के दर्शन कराती है,
वह अपने पिता की 'बेटा' कहलाती है,
पर उसके पंखों को बचपन मे, क़तरा गया है,
वह ज़्यादा दूर तक उड़ नहीं पाती है,

वह ज़िम्मेदारियाँ उठाकर भी,समाज मे 'आवारा' ही कहलाती है......

लोग कहते हैं, उसको maths नहीं आता,

ना जाने वो भाई के लिए पैसे कैसे बचाती है ?
उसकी coaching का ख़र्च चलाती है,
जन्मदिन पर उसके मनचाहा गिफ़्ट लाती है,
भाई के टूटे दिल को कैसे जोड़ पाती है ?
उसकी girlfriend से setting कराती है,
कभी रूठ जाए वो, तो वो ही मनाती है,

वो इतना 'reasoning' जाने कैसे समझ जाती है ?

इन सब के बीच उसका अपना भी जीवन है,

वो जिसे खुलकर जी नहीं पाती है,
अपने प्यार को वो, सबसे छुपाती है,
उसको अभी तक, इक गुनाह ही बताती है,
उसका फ़ोन silent पे ही रहता है,
वो किसी को नहीं जताती है,
अपने 'उनसे' भी वो अकेले मे बतियाती है,
सारे ख़ानदान की 'इज़्ज़त' आख़िर वही तो 'उठाती' है,
वो खुलकर नहीं हँसती, 'ठहाके' शायद ही लगाती है,
दुपट्टा सरक ना जाए कंधे से, इसलिये,
बहुत हो जाए तो वो, केवल मुस्कुराती है,

बड़ी अदब है उसमे, वह दाँत नहीं दिखाती है....

उसको शादी के लिए हर बार कोई देखने आता है,
दहेज और सुंदरता के बीच उसकी बोली लगता है,
कोई height तो face-cutting का नुक़्स बताता है,
उसकी पढ़ाई-लिखाई हर कोई भुल-सा जाता है,
कोई दहेज देकर compromise करवाता है,
कोई beauty parlor लेजाकर उसका चेहरा जलाता है,
"भगवान" की ग़लतियाँ सुधरवाता है,
उसका चेहरा fair & lovely बनवाता है,
कोई studio लेजाकर bright फ़ोटो खिचवाता है,
कोई photoshop से edit करके चमकाता है,
कोई उम्र कम बताकर setting कराता है,
अंततः बस हर कोई reject करके चला जाता है,

वो हर बार थोड़ा-सा ग़ुस्सा दिखाकर,
नुमाइश के लिए तैयार हो जाती है,
चुपचाप फिर से reject हो जाती है,

बड़ी अदब है उसमे,
बड़ी बेटी सबकुछ बिना कहे समझ जाती है.....







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