जब कहते हो-नमस्कार !
तुम झुक करके,
सब हंसते हैं
जब बहलाते हो
बातें मीठी,
कर करके
सब हंसते हैं,
सरल बात को
सरल शब्द में कहते हो,
सब हंसते हैं,
जब चिल्लाती हूं
तुम शांत मुस्कुरा सुनते हो,
सबका हंसना है-तिरस्कार
हो बात तुम्हारी नम्र भले,
जग को देखा तो प्यार किया
तुम जग से आगे क्यों निकले ?
बापू के आदर्शो पर
चलना कैसे सीख गए ?
चिल्लाने वाली लड़की को
तुम कैसे सहना सीख गए ?
Verbal abuse तो सहते थे,
पर Emotional abuse
से ढह क्यों गए?
अब लगते हो बहुत पुराने
मेरे भाव को नहीं बने,
कहती हूं मैं रोना तुमको
टाटा,बाय-बाय, नमस्ते !
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