फिर नवीन हो आया,
राम हृदय के पास
माया बादल सी छाया,
राम मंदिर के आगे
माया समुद्र के पार,
राम का संग सत्संग
माया जीवन की रंग,
माया जाए ऊँचा
राम सर्वत्र व्याप्त,
माया चुप हो बैठी
राम करे वक्तर्व्य!
तुम सुधर न जाना बातें सुनकर जमाने की, कहीं धूप में जलकर सुबह से नजर मत चुराना, ठंड से डरकर नदी से पाँव मत हटाना, कभी लू लगने पर हवा स...