फिर नवीन हो आया,
राम हृदय के पास
माया बादल सी छाया,
राम मंदिर के आगे
माया समुद्र के पार,
राम का संग सत्संग
माया जीवन की रंग,
माया जाए ऊँचा
राम सर्वत्र व्याप्त,
माया चुप हो बैठी
राम करे वक्तर्व्य!
ऐसी चमक, ऐसी खनक जो है नही, देखने से ढ़ल जाती है सुनी हुई धुन सादी है, मनोहर गढ़ी, भेरी कही योगी की तंद्रा, भोगी की रंभा कवि की नजर मे सुम...