ऐसी चमक, ऐसी खनक जो है नही, देखने से ढ़ल जाती है सुनी हुई धुन सादी है, मनोहर गढ़ी, भेरी कही योगी की तंद्रा, भोगी की रंभा कवि की नजर मे सुम...
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