Sunday, 20 April 2025

कागजी

ये खयाल कागजी
ये मिजाज कागजी,
हमारे-तुम्हारे रबाब कागजी

समय की जुबा
समय का लतीफ,
ये हमारे तुम्हारे 
ज़ज्बात कागजी,

मिले हैं तुमसे
मिलेंगे कहाँ फिर, 
ये खुदा हाफिजों 
का रिवाज कागजी!

इलाहाबाद

हमारा शहर था 
हमारा था, 
हमारा ठिकाना 
अपना ठिकाना, 
गंगा का किनारा 
यारों का सहारा,
पढ़ने की लत 
और उड़ने की हद,
सबको मिला था 
खुला आशियाना, 

पेड़ों के नीचे 
पढ़ाई-लिखाई, 
मटके का पानी 
और सत्तू मे लाई, 
आम के जोड़ों के 
किलो भर निवाले, 
आंदोलनों के भरे
किस्से अखबारें,
किसी हशरतों को
मन में दुहराना!


Wednesday, 9 April 2025

प्रेम

प्रेम की परिभाषा 
आयी मेरे अन्तर 
शांत हुई जिज्ञासा, 
त्याग की नई भाषा 
देखी मैंने अन्तर 
मिटी सकल आशा, 

चित्त का उल्लास 
महसूस हुआ निरंतर 
खुद का है आभास, 
बोली का विन्यास 
राम नाम का अक्षर 
बिना कहे संबाद, 

हर क्षण-कण एहसास
मैं और वो का भेद
गृहस्थ जीवन संन्यास,
भ्रम की माया फांस 
राम राह का लेश
धीर धर्म दिव्यांश!

सुधार

तुम सुधर न जाना  बातें सुनकर जमाने की,  कहीं धूप में जलकर  सुबह से नजर मत चुराना,  ठंड से डरकर  नदी से पाँव मत हटाना,  कभी लू लगने पर  हवा स...