ये मिजाज कागजी,
हमारे-तुम्हारे रबाब कागजी
समय की जुबा
समय का लतीफ,
ये हमारे तुम्हारे
ज़ज्बात कागजी,
मिले हैं तुमसे
मिलेंगे कहाँ फिर,
ये खुदा हाफिजों
का रिवाज कागजी!
तुम सुधर न जाना बातें सुनकर जमाने की, कहीं धूप में जलकर सुबह से नजर मत चुराना, ठंड से डरकर नदी से पाँव मत हटाना, कभी लू लगने पर हवा स...