Sunday, 20 April 2025

कागजी

ये खयाल कागजी
ये मिजाज कागजी,
हमारे-तुम्हारे रबाब कागजी

समय की जुबा
समय का लतीफ,
ये हमारे तुम्हारे 
ज़ज्बात कागजी,

मिले हैं तुमसे
मिलेंगे कहाँ फिर, 
ये खुदा हाफिजों 
का रिवाज कागजी!

No comments:

Post a Comment

जिम्मेवारी

लेकर बैठे हैं  खुद से जिम्मेवारी,  ये मानवता, ये हुजूम, ये देश, ये दफ्तर  ये खानदान, ये शहर, ये सफाई,  कुछ कमाई  एडमिशन और पढ़ाई,  आज की क्ल...