हमसे प्यार कितना है?
की नींद पूरी कब हुई थी
याद नहीं है,
मेरे दोस्त जो थे वो
अब साथ नहीं हैं,
चित्रकूट की नपाई
का टेप खो गया है,
नेटवर्क मेरा
रोमिंग हो गया है,
साइकिल मेरी
हाथ आती नहीं है,
बांसुरी भी अब
सुर मिलाती नहीं है,
बनारस के दोस्त
करेले पलग्गी,
खियावेके पान
पियावेके लग्घी,
चार मास के एक
लगन जितना है!
गाँधीजी अब नोट पर
ही नजर आते हैं,
मेरे योग वाले साथी
मुझे घर मिलके जाते हैं,
मोहल्ले की सफ़ाई का
अभियान है रुका हुआ,
बड़े साहब की गश्त
बिना मेरे बढ़ा हुआ,
मेरे कमरे के बाहर
यह शहर जितना है!
माई से बात भइल
हफ्ते ले पहले,
डबल ड्यूटी वाला
भइआ कहेले,
भउजी के खबर का
मुअलिन की बचलिन,
सालू के फोनवा
उठइले महिन्ना,
चच्चा के बिटिआ
लिखत बाड़ि पन्ना,
दिदिया का जानी
घरे बा की नईहर,
मउसी घोरावतथिन
मेहरिया के लतिहर,
अपनों मे आया ये
जहर जितना है!
ऑफिस के फाइल मे
पेनड्राइव रखा है,
बाॅस के मोबाइल मे
मेरा नंबर लगा है,
ऑडिट के बाद
खोजे है टीम,
सो जाते लगाकर
पैग औ सिटकिन,
लिखते-लिखावत
लिखा जा ता कुछ,
बीचे मे फोटो से
मंगावत है पूछ,
नौकरी मे हमारी
कलम जितना है!
मेरे राम का नाम
सुबह ना ही शाम,
तुम्हारी सांसों से
होता प्राणायाम,
जागथि पहिले
पहुँचथि लेट,
सड़ जाता फल
खाली बा पेट,
देखिए के तोके
खोलेथि आंख,
सबेरे रे चार दाईं
सूनत्थि डांट,
सिया के लिए
बस हिरन जितना है,
प्रिया के लिए
ये पवन जितना है!
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