Monday, 4 August 2025

सुबह

तुम उठी और 
मेरी सुबह हुई, 
तुम चली और 
फिर धरा चली, 
तुम बोली तो 
हवा ये बातें की, 
तुम रुकी तो 
हमने दृश्य दिखे, 
तुम आयी तो 
राम हृदय मे आ बैठे!

No comments:

Post a Comment

जिम्मेवारी

लेकर बैठे हैं  खुद से जिम्मेवारी,  ये मानवता, ये हुजूम, ये देश, ये दफ्तर  ये खानदान, ये शहर, ये सफाई,  कुछ कमाई  एडमिशन और पढ़ाई,  आज की क्ल...