Monday, 4 August 2025

हुनर

दो हाथ से 
दो गज का 
माप ले लिया,
दो नजर मिलाकर 
दाम का 
सवाल कर लिया,
जीने के लिए 
जुटा लिया, 
अपने हुनर के 
जोर से,
दो रोटी, एक छत
और एक मुस्कान, 

सुबह चढ़कर ट्रेन मे
बांट दिया सामान, 
फैला दी एक चादर 
सुना दिया एक गीत, 
कुछ जुबान चला दी 
झाल खिलाकर, 
राम नाम से लुभाया 
हृदय गांठ खोलकर, 

कुछ उठा लिया बोझ 
जेब से निकाल, 
कर दिया 
माया से हल्का,
किसी के आंसुओं में 
किसी का रबाब छलका,
किसी से छेड़खानी की
किसी का नकाब उतरा, 
कोई बन गया लाचार
बोझ बताकर, 
लूट लिया किसीको 
कुछ और दिखाकर,
जीवन जीकर पा लिया 
जीने का हुनर!


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हुनर

दो हाथ से  दो गज का  माप ले लिया, दो नजर मिलाकर  दाम का  सवाल कर लिया, जीने के लिए  जुटा लिया,  अपने हुनर के  जोर से, दो रोटी, एक छत और एक म...