बातें सुनकर जमाने की, 
कहीं धूप में जलकर 
सुबह से नजर मत चुराना, 
ठंड से डरकर 
नदी से पाँव मत हटाना, 
कभी लू लगने पर 
हवा से गुफ़्तगू न भुलाना, 
किसी की नाक बहने पर 
घर पर मत बुलाना,
कोई कह दे अगर 
करेले की लड़ाई, 
तुम हंस लेना खुलकर 
करेले से न लड़ जाना, 
कोई नमस्ते कहे तो 
खुशी रहो कह देना, 
किसी को हाथ जोड़कर 
नहीं मुस्कुराना, 
तुम्हारे भक्त हो गए हैं 
गंगा के घाट और कुंड, 
सुबह आरती में तुम 
नहाकर न चली जाना, 
तुम्हारे तिलक पर 
सभी की नज़र है,
तुम अपनों की सुनकर 
भगवान को मात भूल जाना, 
तुम्हारे अन्नपूर्णा को 
तुम्हारा इन्तेज़ार है, 
कभी भीड़ से डरकर 
चुप न हो जाना,
किसीको पता नहीं 
तुम कोहिनूर हो, 
मेरा दामन छोड़कर 
कहीं मुकुट न जड़ जाना,
लोग जी रहे हैं 
तुम्हारा जीना देखकर, 
तुम उनकी सुनकर 
जीना न भूल जाना,
कोई कद कोई काठी 
वहाँ पहुँच नहीं सकती, 
कोई रंग-रूप की बात 
तुमसे पच नहीं सकती, 
तुम पैर ढंकने के लिए 
पाजामे मे न फंस जाना, 
'कुत्ता' कह दिया तो 
बड़ी बात बनी होगी, 
खाना साथ न खाया तो 
उनकी भूख मरी होगी, 
कभी बकरियों की चोरी 
पर हुआ हो घमासान, 
कोई भूत बनकर डर गया 
चाहे निकल जाए जान, 
तुम उनकी तंग-दिल बातों को 
कभी दिल पर न लगाना, 
तुम्हें देखकर कई 
अरमान उठते होंगे, 
तुम्हें बताकर कई 
बच्चे लड़ते होंगे, 
कोई तोड़ देगा टीवी 
अपनी नई घर की आज 
कोई प्रेम का अपने 
बतायेगा राज, 
तुम बच्चों की टोली में 
बड़ी मत हो जाना!
 
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