तुम ब्रह्मास्त्र मैं गांडीव,
तुम गंगा का
विस्तार प्रलयंकारी
मैं स्थित जटाधारी,
तुम चांद, मैं चंद्र-शेखर
तुम नदी, मैं सागर,
तुम गगन, मैं क्षितिज
तुम अगन, मैं जल,
तुम खनन, मैं खनिज
तुम पवन, मैं बल,
तुम खुदा , मैं हाफिज
तुम धरा, मैं अचल,
तुम गुमान, मैं मुस्कान
तुम आवेग, मैं समाधान,
तुम खुलापन, मैं विधान
तुम सलीका, मैं नादान,
तुम किलकारी, मैं ध्यान
तुम क्रोध, मैं शैतान
तुम प्रयास, मैं छल
तुम आज, तुम कल,
तुम रास्ता, मैं मंज़िल
तुम अवतार, मैं हासिल,
तुम प्रिया, मैं नाम
तुम सिया, मैं राम!
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