Monday, 9 June 2025

प्रणाम

एक बार फिर 
बिना मतलब 
प्रणाम लिख दो,
तुम मेरे नाम 
कोई बात लिख दो,
हम बार-बार झांकते हैं
तुम्हारे मैसेज बाॅक्स मे
गाहे-बगाहे 
एक मुस्कान लिख दो,

कुछ मांग लो अधुरे 
ख्वाहिशों की फेहरिस्त से,
कुछ सुना दो अपने
महकमों के किस्से, 
कुछ शिकायत होगी तुम्हारी
इस दुनिया जहां से,
कुछ थामी होगी जुर्रत 
तुमने एक हाथ से,
कुछ खुलने वाली 
जुबाँ तुमने ऐंठ दी होगी,
किसी अबला कि खातिर 
फिर कोई तकलीफ ली होगी,
अख़बार समझ मुझको
कोई पैगाम लिख दो!

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