ख्वाबों की सच्चाई,
मेरे साथ आ गई है
जबसे मेरी परछाई,
मेरे कहने से सुनने
के बीच फैली है,
एक लंबी दास्तान
कई मिलों की तन्हाई,
मेरी आने वाली सुबह
मेरी ढ़लने वाली शाम,
मेरे पढ़ने का तरीका
मेरे चलते-फिरते काम,
मेरी कुश की चटाई
मेरी दोपहर के ध्यान,
कुछ धुले हुए कपड़े
कुछ पर्दों का कलाम,
तुम सभी में हो गई हो
तुम सब समय पड़ी हो,
मेरे लेकर सारे आराम
तुम हो गई कोई काम,
मेरी नींद भी नहीं
और समय का नहीं ध्यान,
तुम रात की नमाज
और सुबह की इबादत,
तुम शाम आरती
तुम गोधूलि का राम!
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