Friday, 13 June 2025

जादूगर

तुम हो कोई जादूगर 
तुम्हारा होना है असर, 
तुमसे मिला नहीं, 
आया कभी पास भी नहीं, 
बस तुमने ली खबर 
मैं हो गया बेख़बर,

धीरज से हुआ मैं बेसबर
मदहोश हो गया हूं शाम-दोपहर, 
पम्मी का नाम था यूँ जहर 
तुमने छुकर कर दिया शहद,

ये नदी, ये झील 
ये सागर, ये लहर,
ये थे अपने मेरे 
हमसफर,  हमनफज,
ये शहर, ये सड़क 
ये मंदिर और नहर, 
ये सभी दोस्त थे
कल तक, हर पहर, 
अब चुप हो गए हैं
मुस्कुरा भर रहे हैं 
क्यूँ मुझे देखकर, 
बियाबाँ हो गए 
अब तुम्हारे बगैर,
पड़ी है तुम्हारी 
ये कैसी नजर,
क्या कर दिया है
कहो जादूगर?

मेरे राह सकुचाते उधर
छुने को चाहें तुम् चवर,
आस्मां निहारे तुम्हारी झलक,
गले से लटक कर
बगीचे की डाल,
पूछे तुम्हारा 
चिढ़ाकर के हाल,
खिंचाई करत हैं
आम की बउर, 
अटक जात है माथे
गजरा बनकर,
रस्ता रुकाके
चौराहे क पीपल,
कहत बाड़े बाबु
देखाता न आजकल?
सबपर तुम्हारी 
लगी है नज़र, 
कैसे ये करती हो
तुम जादूगर?

सबेरे उठाकर के
पूछ ता मम्मी,
आई मेहरिया 
भुला जईबा पम्मी,
मुझसे मेरी बाँसुरी 
भी अलगाई, 
फूंका जो मैंने 
हँसी-खिलखिलाई,
झाड़ू लगावत
कहत बानी भउजी,
तकिया के छोड़ा 
 लियावा जा सब्जी,
मामी तो कहती 
तनी मुस्किया के,
केसे बतियावत 
रहे रतिया के?
बहन कह रही
लगाकर के मुक्का,
मने मन छुहाड़ा
मने मन मुनक्का,
सबको तुम्हारा 
लगा इंतजार, 
जादूगर तुम्हारा है
कैसा कमाल?












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