Friday, 27 June 2025

नजर

मुझे देखती हैं 
अब हर पहर, 
तुम्हारी ये 
झरोखों सी नजर,

पूछती हैं सवाल 
मांगती हैं जवाब,
मेरे होने की वजह 
मेरे जीने का ख्वाब,
ये कैसी कहानियों 
खुली है नहर,

इसमे है मेरा शहर 
दिन रात दोपहर,
मेरा ऑफिस 
मेरा घर, 
मेरे किचन का खाना 
मेरे दोस्तों का चिढ़ाना, 
मेरे बस की सीट 
मेरे ट्रेन की टिकट,
मेरा सोना 
मेरा जगाना, 
मेरा सूर्य नमस्कार
मेरा ऑडिट का उधार, 
मेरा खानदान 
मेरे मुहल्ले का पान, 
लावा और सुमन 
मेरा शबर, मेरा चैन 
मेरे करवटें वाली रैन,
मेरे गंगा की सुबह 
प्रयाग की शाम, 
मेरे अस्सी और राजघाट 
मेरा लस्सी मेरा चाट
मेरा सिनेमा का पर्दा 
मेरा 90 दिन का वादा,
मेरी सीता और चालीसा 
मेरे हनुमान और गीता, 
मेरा शक्तिमान 
और व्योमकेश
मेरा साधारण सा वेश, 
तुम्हारी शॉर्ट और 
सुबह का तिलक, 
हमारी रात भर की बात 
तुम्हारी शैतानी 
और शबाब, 
मेरे भारत के सब काम 
मेरे तुलसी मेरे राम,
मेरे चाक की कुम्हार 
मेरी सागर की लहर 
तुम्हारी नजर
ये हैं मेरी नज़र!

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