Monday, 23 December 2024

आसक्त

मेरा भी कुछ लेना है
कुछ देना है,
कुछ मन मे है
कुछ नेत्र बसे,
कुछ चेहरे हैं
कुछ मंजर हैं,
कुछ बातें हैं
कुछ हरकत है,
कुछ दावत हैं
कुछ किस्से हैं,
मैं प्रेम पाश में धर लेता
मेरे ही कितने बंधन हैं!

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