Wednesday, 17 April 2019

मेरे जीवन की कविता

जब हँसता हूँ,
             तो रुला देती है,
जब ग़ुस्सा हूँ,
             तो डरा देती है,
जब रोता हूँ,
             तो महटिया देती है,
जब गाता हूँ,
             तो सुर मिला देती है,
जब जाता हूँ,
             तो भगा देती है,
जब आता हूँ,
             तो लुभा लेती है,
जब कहता हूँ,
             तो भुला देती है,
जब सुनता हूँ,
             तो गुर्रा देती है,

मुझे सारे रंग दिखा देती है,
मेरे अहम् को छूकर मिटा देती है,

मै लिखता हूँ,
        वो पढ़कर सुना देती है,

मेरे जीवन की कविता।

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