Wednesday 24 April 2019

पशुता

क्यूँ दुर्भाव-अनर्गल को
हम किंचित रक्त प्रदान करें ?

हम पशुता का संधान करें ?

जब बात हमारी नहीं सुने
और करे मनमानी
हमें जानकर मूर्ख बड़ा
करे नाहक खिंचातानी

धमकाए रातों में आकर
त्राहि-त्राहि चिल्लाये
मिट्टी के मेरे महल गिराकर
उसपर डाले पानी

तब आवाज को ऊँची करके
व्यर्थ वाक्-संग्राम करें ?

हम क्यूँ पशुता संधान करें ?

जब चर्चा अपनी झूठ लगे
और बातें हों बेमानी
जब राम नाम मे ढोंग दिखे
और सीता मे नादानी

सत्य को सच मे नहीं जानकर
करे सुनी-सुनाई बातें
अपने अहं के मक़सद में
ख़ुद की रखे सानी

तब हम अपना फ़ोन काटकर
क्यूँ वाचन का अधिकार हने ?

हम क्यूँ पशुता संधान करें ?

जब तत्व ना देखे, देखे केवल
आडंबर के मूल
जब printer बेचने वाला हो
कुछ सिक्कों में मशगूल

जब विनाश का तांडव करते
अचमन जाए भूल
जब मानुष माखौल करे
संशय की उड़ाए धूल

तब अपनी सीमित क्षमता पर
हम थोड़ा सा विचार करें
जाँच परख कर मोल करें
यह आगे से ध्यान करें

हम बर्दाश्त करें, सौ बार करें
राम नाम का जाप करें
तत्व की ताक़त पर अपार
हम अडिग विश्वास धरें

हम ना पशुता संधान करें ।।



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