Tuesday 13 December 2022

ठंड और डर

ठंड और डर की 
फितरत एक जैसी
डर लाती नीचे 
आत्म विश्वास को
ठंड पकड़ कर खींचे
हाथ पांव को,

ठंड कपकपाती
हांड–मांस देह,
डर सताती मन को
भुला देती नेह,

ठंड देह की 
और डर
मन का भंग है,
ठंड की वीर्य से
और डर का वीर से
जंग है!

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