Friday, 30 December 2022

मुझमे

मुझमे सीता, मुझमे राम
मुझको दुनिया मे आराम,
मै ही लक्ष्मण, मैं हनुमान
शक्ति–तृष्णा मेरे काम,
मै रघुनंदन, मै घनश्याम
मुझमे बसते सारे धाम,
मै ही कविता, मै सतनाम
मेरे आडंबर, हैं सुखधाम,

मै संतों की वाणी, नाम
मुझको खोजे चारो याम,
मेरी जटा समाई गंगा
मुझमे कैलाशी का ध्यान,
मेरी शक्ति मैहर वाली
मुझमें दुर्गाकुंड का जाम
मै अल्लाह का निर्गुण रूप
मै ही ईसा का सत्काम,

मुझमे रहते हैं श्री राम
मुझमें बसते हैं श्री राम!

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