Sunday, 1 January 2023

रुखसत

मेरी निगाह मे तुमने
अपना नाम कर लिया,
कुछ बोलने से पहले
मुझसे राम की दिया,

मुझे मेरी ही नजर में
बदनाम कर दिया,
मेरे चिल्लाने से पहले
मुझसे राम कह दिया,

विदाई के आंसू संग
क्यों सलाम कह दिया,
तुमने कंधे पे सर टिकाकर 
मुझसे राम कह दिया,

मेरी प्रेम–अगन को
तुमने काम कह दिया,
मुझे जानती नहीं हो
सरेआम कह दिया,
किसको पकड़ के रोता
तुम्हारी गोद जो नहीं है,
तुमने जाते ही जाते
मुझको ‘सियाराम’ कह दिया!

कुछ किए बिना ही मुझको
बदनाम कर दिया,
मेरा रास्तों पे चलना
कुछ हराम कर दिया,
लोगों से दूर करने मे
कुछ ऐसा जतन किया,
तुमने अयोध्या का मुझको
श्री राम कर दिया,
शिकवा गिला कहूं क्या
तुम्हे आखिरी मिलन पर,
मेहंदी से हाथ पर तुमने
सिया राम लिख दिया!



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