उन्माद और उभार
कश्मकश और टकरार
यत्न और रुकावट
यातना और यलगार,
ऊर्जा उत्सर्जन को
बेकरार,
हाथों पैरों का मरोड़,
यदा–कदा, कड़ा ढीला,
चरमराहट
उद्गार पर उद्गार
फिर राग मेघ,
तरल तत्व विस्तार,
ग्लानि का भरमार
ठंड और गर्मी
का साक्षात्कार,
दर्द और चित्कार
जख्मों का नव आकार,
हाथ जोड़ विनती
भविष्य का डर
भूत का विकार,
राग राम का आसार
सीता राम का आह्वान,
बजरंग की पुकार
सिया राम, सिया राम,
बनारस की याद,
गलियों की आग,
छोटा सा अनुराग
मेरा वही राग!🙏
No comments:
Post a Comment