चाहत का इंतकाम क्या लूं,
मै सीता के वनवास पर
राजा राम का नाम क्या लूं,
कैकेई के वरदान पर
मंथरा को इल्जाम क्या लूं,
गोकुल को छोड़ कर
मथुरा मे अब विराम क्या लूं,
अब न कहोगे की
चाहा नहीं किसी ने,
मै अपनी बेखुदी मे
किसी और का नाम क्यों लूं,
रोना छोड़कर तुम दिव्य की
खोज में थे निकले,
सिद्धार्थ मै राहुल को
अब पैगाम क्या दूं?
मेरे हो गए थे तुम
मुझमे घुल चुके थे यूं,
तुमसे अलग होकर
खुद का नाम क्या लूं?
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