Tuesday, 31 January 2023

ठंडी हवा

ये ठंड भी न रहेगी
ये हवा भी न बहेगी,
ये डर भी काफुर होगा
ये उदासी भी जायेगी,

भूख भी मिटेगी
और शब्द भी सजेंगे,
कोई साथ भी चलेगा
कारवां भी बनेगा,

हम तब भी मिले थे
और फिर से मिलेंगे,
हमारी राहें अलग हैं
हम साथ तो चलेंगे,

ये नींद नहीं होगी
कोई वीर्य न बहेगा,
रातें भी सुकून होंगी
ये कंबल भी हटेगा,

ये स्वेटरों के पर्दे
कभी बीच से हटेंगे,
हम ठंडे पानी नहाने
कभी भोर मे उठेंगे,

वो राह फिर सजेगी
वो खिलखिलाएंगे फिर
टकरार फिर से होगी
चुप और कुछ रहेंगे,

आया है नया मौसम
बस आज डर रहे हैं,
मुस्कान फिर से होगी
मुलाकात फिर से होगी,

हम गले लगा के उनको
एक बार फिर चलेंगे!

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