Monday, 2 January 2023

उधार

मैं उधार देती थी उसे
अपनी जेबें काटकर,
वो ठग लेता था मुझे
मेरी मिट्टी को नापकर,
करती थी इंतजार
प्लेटफार्म पर बैठकर
उसके आने की राह
अकेले ठंड झेलकर,

सहेलियों से मेरी मुझको
कम जताता था,
वो मेरे शरीर को ही
मुझपर बोझ बताता था,
बड़ा बोझ बनकर आया
मेरा उधार वाला प्यार!


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