खोल दिए जब,
हाथ जोड़ कर
बोल दिए जब,
तब आज की
खुशकिस्मत पर बैठे,
क्या सोचते
कैसे थे तब?
पर यह अच्छा
बहुत रिवीजन,
जाना कैसा
आए यहां तक,
अब इसका
महत्व जानोगे,
तुम इसको
बचा पालोगे!
अब गलत
जब कदम बढ़ेगा,
मुस्कान मे जब
कंधा उचकेगा,
तब मुस्कान
बचाने खातिर,
अपनी जंजीर
छुड़ाने खातिर,
कदम रुका
बचेगा जीवन,
नतमस्तक हो
करो रिवीजन!😇
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