Thursday, 17 October 2024

जो नहीं है!

वो जो नहीं है
जिससे बातें नहीं बनी
जिससे जाती नहीं मिली
जो टूटे चप्पल की तरह रही
जो फिसली और पर पाँव धरी
जिसको समझा मैं नहीं सका
जो मेरी समझ के बाहर थी
उसकी कमी-सी कैसी है?
जो मिली हुई है बातों से
जो जुड़ी हुई है हरकतों से
उसके अंदर वो झलक रही
पर उनसे बेहतर वो कहाँ लगी?

No comments:

Post a Comment

सुधार

तुम सुधर न जाना  बातें सुनकर जमाने की,  कहीं धूप में जलकर  सुबह से नजर मत चुराना,  ठंड से डरकर  नदी से पाँव मत हटाना,  कभी लू लगने पर  हवा स...