Thursday, 24 October 2024

हजारों कदम

हजारों कदम और चलूँ 
कुछ कदम मिलाकर 
सीधी नजर कर,
कुछ लाईन तोड़कर 
औरों से अलग हटकर,
कुछ पल बैठकर सुस्ता लूँ
कुछ साँसों को कैद कर लूँ
राहों मे फरिश्तों से मिलूँ
अँगुलीमाल के रास्ते 
और कुछ रथयात्रा मे
रस्सियाँ खींचता 
हजारों-हजार कदम और चलूँ!

No comments:

Post a Comment

एक बापू हैं!

एक बापू है हृदय में  एक खादी है तन पर  एक गीत है होठों पर  एक राष्ट्र है पेशानी पर  एक काम है मेरे हाथों में  एक रफ्तार है मेरे पैरों में  ए...