Sunday, 5 June 2022

शशि

मै धूप मे खड़ा था
पसीना नहीं आ रहा,
मै सागर किनारे बैठा
और लहरों में नहीं जा रहा,

मै तला हुआ रखा पड़ा था
सिरके मे कहां डूबा,
मै नदी किनारे ठहर गया
पर स्नान कहां हुआ?

तुम आए तो शीतल हुआ
मन और मेरा भीतर,
मै हो गया तर राम से
बस राम नाम लेकर!

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