कुछ बचता ही कहां है?
कहां है तुम्हारी गाथा
कहां है तुम्हारी बातें,
कहां है तुम्हारी फितरत
कहां है तुम्हारी इज्जत?
तुम हर किसी से मिलकर
कुछ और ही बने हो
क्या है तुम्हारी उल्फत
क्या है तुम्हारी चाहत?
तुम किस लिए बने हो
क्या है तुम्हारा मकसद?
क्या हैं तुम्हारे राम
क्यूं राम से हो सहमत?
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