नाराज़ रहने दो,
कुछ रूठने वालों को
भी याद रहने दो,
किसी की नहीं है
फ़ितरत हमारे जैसी
पैगम्बर किसी को
किसी को राम रहने दो,
कोई है तुम्हारी परछाई
बीते समय की याद,
कोई हैं नन्हे कदम
चलने लगे हैं आज,
उनको आज अपने कल की
सौगात रहने दो,
टूटी हुई टहनियाँ
बरसात मे गिरी हैं,
आज सड़क जाम है
भीड़ सी घिरी है,
अपनी लाचारी का लोगों को
तनिक ध्यान रहने दो!
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