भाव देने पर,
तुम्हारे भाव पर फैले 
तो अपना नाम हो गया है,
पा नहीं सकते 
तुम्हारे ख़ास का रुतबा,
पास आये हैं 
तो अपना काम हो गया है,
अभी तुम्हें ज़रूरत 
मेरी जुबां की पड़ी है,
तुम्हारे गीत गा रहे हैं 
तो अब बदनाम हो गए हैं,
हमें फ़ैलने की आदत 
भूल ही गई थी,
तुम बरसात लेकर आए 
तो अब बहार हो गए हैं!
 
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