आऊंगा चलकर,
जहां पर तुम्हारे
हाथ धरकर बढ़ा था,
कैसे वो देखूँगा
मैं सब नज़ारा,
जहां संग तुम्हारे
मिला नजर घुमा था,
वो राह क्या होगी
जहां तुम मिलोगी,
कहां से चली थी
कहां तक रहोगी,
कहां बाज़ुओं की
ऊंगली-सी दिखाकर,
मेरे खामोशी का
शबब पूछ लोगी,
क्या कहकर बढ़ेंगे
कदम तुमसे आगे
तुम मेरे वादों की
खबर पुछ लोगी!
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