जुटाई वो हिम्मत, 
नहीं गालियों से 
जूझने भर थी हिम्मत, 
नहीं ही मिलाया
नजर भी विदा पर,
नहीं देखने की
आंसुओ की थी हिम्मत,
किया था जो वादा
निभाई न हिम्मत, 
तुम्हे गले भर लूं
दिखाई न हिम्मत, 
चलने को होगी 
बड़ी राहें अलग-थलग,
कहां मोड़ने की थी
राहों की हिम्मत!
 
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