तुम थी नहीं वो, 
जो मै था।
मै था जो,
होने के लिए मजबूर 
अपनी समझ से नासमझ 
नासमझी से मगरूर।
अब बना लिया है वह 
की जो थी तुम,
समझ की सीमा में रहकर,
तो तुम हो गई हो वही 
जो मै था।
वही कर रही
जो मै करा,
वही पाने के लिए
जो मै चाहता था,
वह बेचकर, 
जिसे मैं ढूंढता था।
वह मिल जाए मुझे तो, 
मै ना ढूंढूं तुम्हे, 
वही तुम अपना लोगी,
एक बार,
मिल जाए तो तुम्हें, 
जो तुम ढूंढती हो।
 
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