नहीं की बात,
उसके पहले वाली भी, और
बहुत सी रात।
कि तुम कहती रही,
यही बात पर बात
की तुम्हें करने नहीं आती बात।
उसे छोड़कर और बात,
उसके जैसी नहीं कोई बात,
की लाखों में है उसकी औकात।
खुद में हो तुम,
उसमें हो तुम,
वह जो कहे हैं,
वही हो तुम,
मै जो कहती हूं,
वही तो नहीं तुम।
तो क्यों करूं सांझा,
कोई भी जज्बात
कल नहीं करूंगी,
फिर से मै बात,
आज से ही, कल फिर,
और कल के बाद।
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