अहम् उसमे हैं,
अहम् बना है,
अहम् रहेगा।
अहम् बचायेगा,
अहम् से अहम् को,
उगम से अगम तक।
पर आत्म हम हैं
उसका आत्म नहीं,
नहीं मेरा,
नहीं किसी का,
वह था, है और रहेगा
वह न जीया है न मरेगा !
वह बचेगा क्यूं?
जब नहीं बचेगा,
तो बचाएगा क्यूं?
अहम् की लाठी
और आत्म का लक्ष्य,
साथ चलते रहो,
अहम् से आत्म की ओर!
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