मर्जी होगी,
राम स्वयं ही आयेंगे,
जो दुःख आकार
क्रंदन करेगा
उसका करने उद्धार
राम स्वतः बढ़ जायेंगे
जटायू को आखिरी
जल चढ़ाएंगे।
जो करे विश्राम
ले के राम का नाम,
चेहरे की देखकर
मुस्कान
राम कुछ पल वहीं
रुक जायेंगे,
हनुमान के दर्शन को
राम खुद ही भटक जायेंगे।
जो भक्ति मे है लीन
और पथ पे रहा है
पुष्प बिछाकर
दिन परस्पर गिन,
राम उसकी प्रार्थना से
पिघल कर बह जायेंगे
जूठे बेर को मुंह दबाकर
भूख मिटाएंगे
नवधा–भगती ज्ञान
अपने मुख से सुनाएंगे,
जो है व्यथित
स्वजन से ही
और जिसकी है
राज्य–कुल, भार्या
मान–मर्दित
उसकी व्यथा को
राम भेद कर
एक तीर से
सात पेड़ों को
मिटाएंगे,
किष्किंधा वाले को भी
राज्य तक ले जायेंगे।
राम सबके साथ है,
राम चलकर आयेंगे।
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