आया है,
कल कौन–कौन मिलेगा
और कल कौन कहां होगा,
यह भूल बैठे आज
बस देख रहे हैं
की कौन–कौन है यहां
और कौन कहां है?
कौन याद कर रहा है
किस लिए कितना,
कौन बात कर रहा है
किस वजह कितना,
यह भूल बैठे आज
बस सुन रहें है किलकारी
अमृतवाणी, ठहाके और
फिर से कोई गूंज,
अगले पड़ाव तक के।
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