क्यूँ अंधेरा कर रहे हो तुम?
चिरागों की चमक को
क्यूँ सवेरा कह रहे हो तुम?
हमारे खादी पहनने से
'बापू' साँस लेते हैं
हमारे साँस लेने पर
बखेड़ा कर रहे हो तुम?
तुम सुधर न जाना बातें सुनकर जमाने की, कहीं धूप में जलकर सुबह से नजर मत चुराना, ठंड से डरकर नदी से पाँव मत हटाना, कभी लू लगने पर हवा स...