क्यूँ अंधेरा कर रहे हो तुम?
चिरागों की चमक को
क्यूँ सवेरा कह रहे हो तुम?
हमारे खादी पहनने से
'बापू' साँस लेते हैं
हमारे साँस लेने पर
बखेड़ा कर रहे हो तुम?
लेकर बैठे हैं खुद से जिम्मेवारी, ये मानवता, ये हुजूम, ये देश, ये दफ्तर ये खानदान, ये शहर, ये सफाई, कुछ कमाई एडमिशन और पढ़ाई, आज की क्ल...