शख्सियत का नशा,
अभी आयी है बात
मेरे कारख़ाने की,
अभी तो सेज था बिस्तर था,
तकिया था सिरहाने,
अभी आयी है बात
घर से रात जाने की,
अभी पानी पड़ रहा था
मौसम सुहाना था,
अभी आयी है बरसात
छाता उठाने की,
अभी अपने लिए रोटी
रसोई से उठाया,
अभी आयी है सौगात
भुखमरी मिटाने की,
अभी तक फैसले थे
शाह के फरमान से निकले,
अभी आयी है वज़ह आज
कोई जिम्मा उठाने की,
अभी तक सूर्य उगता था
हमें दिन में उठाने को,
अभी आई है ज़ज्बात
अलार्म की घंटी बुझाने की
अभी तक डाल से छूटे
महीने चार गुजरे हैं,
अभी आने को बाकी हैं
घड़ी कुछ कुम्हलाने की!
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