Tuesday, 9 July 2024

डालियाँ

बहुत-सी डालियाँ 
और बहुत-सी कोपलें,
खुल गए हैं आज कितनी 
मेरे हृदय में रास्ते,

हर कली ही
खिलने को आतुर,
हर राह है 
साधन सुसज्जित,
हर जीत का 
परचम प्रसारित,
हर जान है 
आकुल प्रफुल्लित,

हर दिशा का आज सूरज 
राह को करता आलोकित,
अंक में हैं आकर हैं सोये 
आज खग और मृग,
हो रहे हैं सुमन जैसे 
कर्म के फल भी सुशोभित,
कल्लोल करते राग गुंजन 
कर रहे हैं प्राण पोषित,
आज मुझसे मांगती
वक़्त मेरी हर एक ख्वाहिश,

वृक्ष की हर डालियों 
चाहतीं हैं और पुष्पित!


No comments:

Post a Comment

जिम्मेवारी

लेकर बैठे हैं  खुद से जिम्मेवारी,  ये मानवता, ये हुजूम, ये देश, ये दफ्तर  ये खानदान, ये शहर, ये सफाई,  कुछ कमाई  एडमिशन और पढ़ाई,  आज की क्ल...