कल जैसा होगा
कल ज्ञान
खत्म हो जाएगा,
आज का ज्ञान
कल मुँह चढ़ायेगा
आज का अज्ञान
कल हाथ पकड़कर
अंधकार की कालिख से
मुँह धुलाएगा,
कल त्याग
मोह बन जाएगा,
कल वासना सुख
और सुख
वासना बनी होगी,
कल मुस्कान मुसीबत
और मुसीबत
मुस्कान की जगह लेकर
हावी होगी,
कल राम
दूर से ही सही
अच्छे लगेंगे,
बुलाकर मुस्कुराएंगे
रुलाएंगे और
रास्ता दिखाएंगे
राम फिर जन्म लेंगे
राम वन जाएंगे,
और फिर से
अयोध्या मे दिवाली होगी!
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