Monday, 16 September 2024

जो है नही

ऐसी चमक, ऐसी खनक 
जो है नही,
देखने से ढ़ल जाती है
सुनी हुई धुन सादी है,

मनोहर गढ़ी, भेरी कही
योगी की तंद्रा,
भोगी की रंभा 
कवि की नजर मे
सुमन-सा सुवर्ण,
रसिक की जुबान 
की टपकती शहद,

आंखों की हसरत
सदा की मुहब्बत
होने का तसव्वुर 
ये बयार-ए-इबादत
जो होगी नही!






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