Thursday, 26 September 2024

मरने वाला मेल

हम शब्दों के शस्त्र से
चीरे हुए हैं काल मे,
हम रास्तों पर मिल रहे हैं
दूर से बेतार में,
हम जानने वाले हैं 
हर नज़र की पहचान में,
हम देखने वाले हैं
अपने पीठ को हर हाल में,
हमारे दोस्त हैं दुश्मन 
हमारा संग आसमान मे,
हम चुप हुए है फेर नजरें 
मिल रहे संसार मे,
हम साथ चलने के लिए हैं
मौत की रफ्तार मे!


No comments:

Post a Comment

सुधार

तुम सुधर न जाना  बातें सुनकर जमाने की,  कहीं धूप में जलकर  सुबह से नजर मत चुराना,  ठंड से डरकर  नदी से पाँव मत हटाना,  कभी लू लगने पर  हवा स...