Tuesday, 10 September 2024

नया आदमी

आया है कहीं से 
नया आदमी,
खेलता है, पढ़ता है
बातें सबसे कर्ता है,
हमारे समाज का 
फला आदमी,

खाता नहीं है 
ठहरता नहीं है,
कुछ भी कह रहा है 
कुछ कहता नहीं है,
लगता है सबको 
भला आदमी,

खेल मे, कूद मे
गीत मे, नृत्य मे,
कर्म मे, काण्ड मे
ग्राम मे, प्रांत मे
हमारा हमराह बनकर
चला आदमी,

हमारे ही देश का
एक पला आदमी!

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