आज है कहाँ पर,
केजरीवाल के घर
या लाहौर मे उधर,
रावी के किनारे
जहां मिले थे मिट्टी मे,
या कहीं उस ट्रेन
जिसमे बैठे वो रूप बदल?
क्या वो संसद की
मूर्तियों मे खड़े है,
हाथ मे बम लेकर,
या सड़क पर
छुपे हुए हैं
'आएगा कब इधर
दमनकारी शौन्डर्स?'
युवा दिलों मे
मोहब्बत बनकर,
रगों मे रवानगी बनकर,
टी-शर्ट पर छपे
हैट मे सुघर,
या केशरिया ध्वज से
झांकते पगड़ी पहनकर,
मंदिरों पुरोहितों से
तर्कों में जीतकर,
या कहीं घूम रहें शायद
भेष बदलकर
कहां है उनका घर?
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